Shikshamitra Today News: यूपी के शिक्षामित्र के लिए काफी बड़ी जानकारी आ चुकी है। मानदेय वृद्धि और नियमितीकरण को लेकर योगी सरकार के माध्यम से एक बार फिर से स्थितियां स्पष्ट कर दिया गया है। जो कि उत्तर प्रदेश के डेढ़ लाख से अधिक शिक्षामित्र के लिए खबर काफी महत्वपूर्ण है। बेसिक इन बेसिक शिक्षा मंत्री स्वतंत्र प्रभार संदीप सिंह के माध्यम से शिक्षामित्र को लेकर स्थितियां स्पष्ट कर दिया गया है शिक्षामित्र का मानदेय नहीं बढ़ाया जाएगा। न हीं उन्हें नियमित किया जाएगा आपको बता देते हैं ऐसा बेसिक शिक्षा मंत्री के माध्यम से कहा गया है वर्तमान में प्रदेश में शिक्षामित्र को ₹10000 प्रतिमाह के हिसाब से मानदेय दिया जा रहा है यूपी के विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सपा नेता के माध्यम से शिक्षामित्र के मानदेय और नियमित करने को लेकर सवाल उठाया गया था तो इसके जवाब में शिक्षा मंत्री के माध्यम से बताया गया कि मानदेय बढ़ाने यह फिर नियमित करने का भी फिलहाल कोई भी विचार नहीं है।
वर्तमान में यह है शिक्षामित्र की स्थिति जाने
वर्तमान में शिक्षामित्र के स्थित के बारे में बात कर लिया जाए तो 148000 से ज्यादा उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालय में शिक्षामित्र पढा रहे हैं करीब 20000 से ज्यादा शिक्षामित्र स्तीफा है जिन्होंने नौकरियां ही छोड़ दी हैं पहले 170000 शिक्षा मित्र थे और वर्तमान में प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक छात्र का जो अनुपात है वह 1:30 रहना चाहिए और यह अनुपात वर्तमान में 1:22 हो गया है। ऐसे में बेसिक शिक्षा मंत्री के माध्यम से कहा गया फिलहाल सहायक शिक्षक भर्ती की भी वर्तमान में आवश्यकता नहीं है क्योंकि शिक्षा को छात्र अनुपात काफी सही है हालांकि दिवाली के अवसर पर मुख्यमंत्री से सब शिक्षामित्र के संग मिला था तो मुख्यमंत्री के माध्यम से शासन दिया गया था तो ऐसे में यह शिक्षामित्र के मानदेय बढोत्तरी हेतु बेसिक शिक्षा मंत्री ने एक बार फिर से स्थिति स्पष्ट कर दिया है कि अभी फिलहाल बढोत्तरी पर कोई भी विचार नहीं है।
शिक्षामित्र के संबंध में यह है पूरा मामला देखें
वर्ष 2021 एक में उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्र की नियुक्तियां हुई थी और समाजवादी पार्टी के शासनकाल 2013-14 में 170000 शिक्षामित्र का सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित कर दिया गया था। जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका पड़ी थी और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 सितंबर 2015 को शिक्षामित्र के सम्मोहन का रद्द करने का आदेश पारित कर दिया था। जिसके बाद शिक्षा मित्र सुप्रीम कोर्ट गये उसे सुप्रीम कोर्ट ने पहले तो शिक्षामित्र के मामले में हाई कोर्ट के आदेश पर स्टेट लगाया। इसके बाद सुनवाई हुई और अंतिम रूप से 25 जुलाई 2017 को जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो शिक्षामित्र का समायोजन रद्द कर दिया गया था इसके बाद से शिक्षामित्र को 10000 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से मानदेय मिल रहा है वित्तीय बोझ को देखते हुए वित्त विभाग को इस संबंध में रिपोर्ट भेजा गया है और यह उम्मीद है कि सरकार जल्द ही मानदेय बबढोत्तरी पर फैसला ले सकती है लेकिन सरकार के बयान ने अभी वर्तमान में शिक्षामित्र को एक बार फिर से निराश कर दिया है। बाकी सरकार के माध्यम से वर्ष 2025 में शिक्षामित्र के हित में काफी महत्वपूर्ण फैसला लिया जा सकता है।