UGC New Rule 2025: यूजीसी यानी यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के माध्यम से नियमों में परिवर्तन कर दिया गया है और विश्वविद्यालय सहित देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों में पढ़ाने वाले जो असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर जैसे पदों पर भर्ती से जुड़े नियमों में काफी महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति से भी जुड़े नियमों में काफी बड़ा बदलाव कर दिया है। यानी कि असिस्टेंट प्रोफेसर और कुलपति भर्ती हेतु अब 10 साल का शिक्षण अनुभव अनिवार्य नहीं है ना ही इसके लिए यूजीसी नेट और पीएचडी जरूरत पड़ेगी। लेकिन इसके लिए कुछ नियमों शर्तें भी यूजीसी के माध्यम से जारी किया गया है। कुलपति के लिए अब 10 साल का शिक्षण अनुभव बिल्कुल भी अनिवार्य नहीं है इसे लचीला बनाते हुए इसके लिए अब शिक्षण कार्य के साथ शोध शैक्षणिक संस्थान उद्योग व लोक प्रशासक आदि क्षेत्रों में भी 10 साल का अनुभव रखने वाले लोग अब इसके लिए पात्र होंगे।
UGC New Rule 2025 Latest News
पहले यूजीसी का यह नियम था कि कुलपति बनने के लिये कुल 10 वर्ष हेतु नियमों में परिवर्तन कर दिया गया है यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के मुताबिक इस बदलाव के लागू होने के बाद देश भर के जितने भी विश्वविद्यालय हैं अब दूरदर्शी और नेतृत्व क्षमता वाले जो कुलपति हैं उन्हें मिल सकेंगे। फिलहाल यूजीसी के माध्यम से इन बदलावों से जुड़ा मसौदा भी जारी कर दिया गया है और विश्वविद्यालय और देशभर की उच्च शिक्षा संस्थानों से इस संबंध में राय भी मांगा गया है। आयोग ने इसके साथ ही कुलपति के चयन से जुड़ी सर्च कमेटी में भी बदलाव की सिफारिश ने की है। हालांकि यूजीसी के माध्यम से अभी तक असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती हेतु इन नियमों में बदलाव किया गया था। लेकिन अब कुलपति के लिए भी इन नियमों में बदलाव कर दिया गया है। यानी कि आप बिना नेट और पीएचडी के भी असिस्टेंट प्रोफेसर व कुलपति बन पाएंगे। इसके लिए बहुत जल्द ऑफिशियल अधिसूचना भी यूजीसी के माध्यम से जारी होगा।
यूजीसी के नए नियम को लेकर बड़ी खबर
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के माध्यम से अभी फिलहाल सभी विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा संस्थानों से राय मांगा गया है आयोग ने इसके साथ ही कुलपति की चयन से जुड़ी सर्च कमेटी में भी बदलाव की सिफारिश को किया है। इसमें UGC के प्रतिनिधि भी अब अनिवार्य रूप से यहां पर सम्मिलित होंगे। और कुलपति को एक संस्थान में अधिकतम दो कार्यकाल ही यहां पर दिया जाएगा। जो पांच-पांच साल का रहने वाला है हालांकि इस पद पर उन्हें सिर्फ 70 साल की उम्र तक ही तैनाती दिया जाने वाला है। इस दौरान जो पहले समाप्त हो जाएगा वह माना जाएगा। यूजीसी ने मसौदे में प्रस्ताव भी है यदि नए नियम के तहत किसी भी संस्थान में कुलपति की तैनाती नहीं दिया जाएगा तो उसे शून्य घोषित मान लिया जाएगा।
बिना नेट और पीएचडी के बन सकेंगे प्रोफेसर
यूजीसी के माध्यम से विश्वविद्यालय सहित उच्च शिक्षा संस्थानों में बगैर पीएचडी व नेट के सिर्फ मास्टर डिग्री करने वालों को भी असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति देने की सिफारिश को किया गया है। इसमें एमई और एमकॉम जैसी डिग्री हासिल करने वाले छात्र भी आसानी से सम्मिलित हो सकेंगे। यूजीसी ने 6 जनवरी को जारी भर्ती नियमों से जुड़े इसको लेकर 5 फरवरी तक सुझाव देने को कहा गया है। हालांकि अभी पुनः इस नियम को लागू नहीं किया गया। सिर्फ सुझाव मांगा गया है। राय मांगा गया है। बहुत जल्द यूजीसी के माध्यम से इस संबंध में नए नियम को जारी किया जाने वाला है। यानी यूजीसी ने बगैर 10 साल के शिक्षा अनुभव करने वालों के लिए यूजीसी ने विश्वविद्यालय में राह को खोल दिया है इसके अलावा शिक्षण कार्य के साथ शोध शैक्षणिक संस्थान उद्योग आलोक प्रशासक आदि क्षेत्रों में भी 10 साल का अगर आप अनुभव रखते हैं तो आसानी से असिस्टेंट प्रोफेसर या फिर कुलपति जैसे पदों के लिए नियुक्त किया जा सकता हैं।