Join WhatsApp GroupJoin Now
Join Telegram GroupJoin Now

सरकारी कर्मचारियों को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने नौकरी में प्रमोशन अधिकार पर दिया फैसला Supreme Court Govt Employees News

Supreme Court Govt Employees News: सरकारी कर्मचारी अगर आप भी हैं तो आपके लिए काफी अच्छी व महत्वपूर्ण खबर आ चुकी है। बता देते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी सेवा में प्रमोशन के अधिकार हेतु काफी बढ़ावा ऐतिहारी ऐतिहासिक महत्व फैसला सुना दिया है। जिसकी वजह से सरकारी कर्मचारियों को काफी बड़ा झटका मिला है।न्यायालय के माध्यम से दिए गए फैसले को विस्तार से आपको जरूर जानना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में एक बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला दिया गया है। जिसमें कहा गया है कि सरकारी नौकरी में प्रमोशन पर सरकारियों का संवैधानिक अधिकार यहां पर बिल्कुल भी नहीं है। सरकारी सेवा की प्रति व्यापक रुझान और प्रमोशन के अधिकार को लेकर जो चर्चा के बीच महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है जहां प्रमोशन का अक्सर एक बड़े प्रोत्साहन के रूप में यहां पर देखा जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी कर्मचारी हेतु दिया फैसला

सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से संविधान में प्रमोशन हेतु किसी भी तरह के क्राइटेरिया का बिल्कुल भी उल्लेख नहीं किया गया है। एसएमएस सरकारी सेवा में प्रमोशन का जो दावा है बिल्कुल भी नहीं किया जा सकता है। कोर्ट के माध्यम से कहा गया है कि प्रमोशन हेतु कार्यपालिका नियम कार्य अपने अनुसार यहां पर बना सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से गुजरात में जिला न्यायाधीशों के चयन से संबंधित मामलों में महत्वपूर्ण फैसला भी यहां पर बनाया है। जिसमें लाखों सरकारी कर्मचारी यहां पर प्रभावित हो रहे हैं। कोर्ट ने यह कहा है कि सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन की आधार पर यहां पर दिया जाए। इस पर हमारा संविधान पूरी तरीके से है अब यह जो फैसला है सरकारी सेवा में पदोन्नति के अधिकार को लेकर एक नई भाषा पर पैदा करता है। न्यायालय ने पूरी तरह से स्पष्ट किया है कि प्रमोशन का जो अधिकार है वह मौलिक अधिकार नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से दिए गए अपने निर्णय में आगे यह भी कहा गया है कि विधायकों कार्यपालिका जो प्रमोशन है के पदों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए नियम बनाने हेतु पूरी तरह से स्वतंत्र है। भारत में सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन के अधिकार के तौर पर जताने का जो अधिकार बिल्कुल भी नहीं है। संविधान प्रमोशन पोस्ट को बनाने हेतु अपनी ओर से क्राइटेरिया यहां पर नहीं बना सकता है।

जानिए न्यायालय के फैसले की कुछ खास बातें

सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से जो फैसला दिया गया है इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है कि नौकरी में प्रमोशन पाना संवैधानिक अधिकार अब नहीं है। विधायकों और कार्यपालिका प्रमोशन हेतु अपने अनुसार नियम कायदे बना सकते हैं।सीनियरिटी का मेरिट और मेरिट कम सीनियरिटी का भी यहां पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कर दिया है। साथ ही संविधान में सरकारी नौकरी में प्रमोशन हेतु क्राइटेरिया निर्धारित किए जाने के प्रावधान नहीं किया गया है। आगे सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि प्रमोशन हेतु सरकार अपने अनुसार अब नियम बना सकती है।

जानिए प्रमोशन मामले में सरकार का क्या है खास काम

सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से जो फैसला दिया गया है अपने फैसले में साफ यह कहा गया है कि सेवा में प्रमोशन देने हेतु नियम कायदे कानून प्रावधान तय करने का बिल्कुल भी अधिकार सरकार के पास है। सरकार को यह कोई विचार करना है कि वह किसी कर्मचारी को किस तरह का काम देना चाहते हैं ताकि उसे प्रमोशन आसानी से दिया जा सके। साथ ही अदालत ने यह भी निर्धारित कर दिया है कि ज्यूडिशरी इस बात की समीक्षा बिल्कुल भी यहां पर नहीं करेगा कि प्रमोशन सिलेक्शन हेतु बनाई गई नीति यहां पर पर्याप्त है या फिर नहीं है। हालांकि संविधान के अनुच्छेद 16 के अंतर्गत विचार यहां पर किया जा सकता है कि किसी किसी नियम का उल्लंघन तो यहां पर नहीं हो रहा है।

सरकारी सेवा में प्रमोशन के है यह दो खास तरीके

प्रमोशन में सीनियरिटी और मेरिट पर सुप्रीम कोर्ट ने काफी महत्व यहां पर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आधार पर वरिष्ठ को पदोन्नति का आधार इसलिए यहां पर बनाया जा सकता है। क्योंकि अनुभवी कर्मचारी अधिक यहां पर सक्षम हो सकते हैं। और यह भाई भतीजा वाद का भी यहां पर रोकने में पूरी तरीके से मदद करता है। कोर्ट ने सीनियरिटी कम मेरिट हुआ मेरिट कम सीनियरिटी दोनों प्रणालियों के यहां पर उल्लेख किया है और पदोन्नति का तरीका हर मामले की स्थितियों के अनुसार यहां पर तय किया जाने वाला है। यह कोई कठोर नियम नहीं है सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से इस नोएडा के बाद सरकारी कर्मचारियों को काफी बड़ा झटका लगा है।

Join WhatsApp GroupJoin Now
Join Telegram GroupJoin Now

Leave a Comment

Skip Ad